Tuesday, August 24, 2010

गृह क्लेश कारण और निवारण

पूर्वजों से सुनता आया हूँ कि - " जिनके पशु प्यासे बंधे,त्रियां करें क्लेश,उनकी रक्षा ना करें ब्रह्मा विष्णु महेश", अर्थात जिन व्यक्तियों ने पशुओं को पाला हुआ है और उनके पानी भोजन की व्यवस्था नही कर रहे है,और जिन व्यक्तियों के घर में स्त्रियां या स्त्री क्लेश कर रही है,उनकी रक्षा भगवान ब्रह्मा विष्णु और महेश् भी नही कर सकते है। उन व्यक्तियों को बरबाद होना ही है,वह चाहे धन से बरबाद हों या तन से या समाज से अथवा इन तीनो से उनकी बरबादी को कोई रोक नही सकता है। स्त्री का क्लेश केवल एक ही कारण से होता है,वह कारण होता है "टोटा",यानी घर की लडाई की जड टोटा,इस टोटे को समझने के लिये थोडा विस्तार से जाना पडेगा।
"बुद्धि बाहुबल खूब है,भ्रम में जायें भूल।
घर की चिन्ता न करें उचित क्लेश का मूल॥
इसका मतलब साफ़ है,काफ़ी शिक्षा प्राप्त की है,और ताकत भी खूब है,लेकिन भ्रम दिमाग में रहा कि घर को कोई तो संभाल ही लेगा,वक्त पर घर में कोई आफ़त हो गयी,खुद को पता नही है तो घर में क्लेश तो होना ही है। बुजुर्ग की सलाह भी घर के लिये लाभकारी होती है,अक्सर आज के युवा वर्ग में बुजुर्ग की सलाह लेना नही आता है,वह सोचता है कि घर के मामले भी शिक्षा और पढाई के मामलों की तरह से होंगे,लेकिन घर की स्थिति और शिक्षा तथा कार्य की स्थिति में बहुत अन्तर है। घर में क्लेश छोटी सी बात पर भी हो सकता है और घर में बडा कारण होने पर भी क्लेश नही होता है,हर क्लेश का कारण बुद्धि में भ्रम भर जाना होता है। भ्रम के बारे में कहा है:-
"ताकत नही शरीर में चले न घर में जोर।
पास पडौसी हंसत है मचो रहे जब शोर॥"
मतलब साफ़ है कि शरीर में जोर है नही और कार्य करने में दम निकलती है। फ़िर घर के अन्दर क्लेश तो होना ही है और अगर केल्श होता है तो शोर भी होगा और उस शोर को सुनकर पडौसी भी कान लगाकर सुनते है। और जब बातें अजीब सी होती है तो हंसी तो होनी ही है.

No comments:

Post a Comment