तंत्र के द्वारा व्यक्ति राष्ट्र की उन्नति होती है,आज जो भी प्रगति है वह तंत्र के कारण ही है,यथा राजतंत्र,मशीन तंत्र उर्वरक तंत्र आदि। जो कल था वह आज नही है,जो आज है वह कल नही होगा,लेकिन तंत्र कल भी था,आज भी है,और कल भी रहेगा।
Tuesday, October 26, 2010
वक्र चन्द्रमहि ग्रसहि न राहू
भले का जमाना है ही नही जो टेढा है उसे सभी मानते है,अगर आपको विश्वास नही है तो जरा दूज के चन्द्रमा को ही देख लो,पूनम के चांद को सभी देखते है और रात में रोशनी देने के बाद भी उसे कोई नही मानता है। कभी कभी सत्यनारायण की कथा दिन में कर ली जाती है लेकिन रात में कोई चन्द्रमा को निहारने नही बैठता है। ईद का चन्द्रमा भी शायद दूज के चन्द्रमा को ही कहते है,मुस्लिम भाई भी इस चांद को देखने के चक्कर में पूरी दुनिया में तहलका मचा देते है,कि चांद दिखाई दे गया है ईद की छुट्टी मजे आजाते है। किया भी क्या जा सकता है,नया चन्द्रमा होता है और नयी बहू का पालागन सभी करते है। उसे देखने के लिये मोहल्ले पडौस के सभी आजाते है कोई नजराना देता है कोई बहू को जेवर और कपडे भी देता है लेकिन दो महिने बाद वही बहू जब अपने चांद जैसे मुखडे को खोलकर अपनी चाल में आजाती है तो सभी बातें बनाने लगते है,कि वह तो ऐसे चल रही थी वह तो वैसे चल रही थी। समय का तकाजा है,पूनम के चन्द्रमा को मात इसलिये मिली है कि वह आखिरी पडाव पर होता है दूसरे दिन से उसके अन्दर घटने वाली स्थिति आजाती है,लेकिन दूज के चन्द्रमा में बढने वाली स्थिति होती है इसलिये उसे लोग इज्जत से देखते है,आसमानी राहु की छाती को चीर कर बाहर निकलता दिखाई देता है उसका दिखाई देना इसलिये और सबको मजेदार लगता है जैसे निशा रानी के सीने में किसी ने चमकदार खंजर घुसेड दी हो,और निशारानी अपनी बेहोशी में पडी दिखाई देती हो। ज्योतिष के हिसाब से भी देखा तो पूनम की तो कन्या राशि आती है,उसका जीवन तो सेवा करने में ही जायेगा,लेकिन दूज की मीन राशि आती है वह अपने आप कल का जीवन अपनी गति से देखेगी। कन्या का स्वभाव सेवा वाले कामों में माना जाता है,घटता हुआ करेगा भी क्या,जब उसके पास से धीरे धीरे खर्च होगा तो वह कर्जा लेने के लिये अपनी गति को आगे करने की योजना तो बनायेगा ही,जिसने उससे पहले ले लिया है और देने का मूड अगर नही बना पा रहा है तो वह दुश्मनी तो बनायेगा ही,और अगर कोई रास्ता लेने का नही बन रहा है तो सोच सोच कर बीमार तो होना ही है,यह होता पूनम रानी के साथ,लेकिन दूज का काम ही निराला है,कुछ समय के लिये दीदार दिये और चल दिये,सारी रात तो हाजिरी बजानी नही है,केवल घंटे भर के लिये आना है और दीदार कराने के बाद अपने स्थान पर वापस आना है,जिसे गर्ज हो वह चाहे दूज के रूप में देख ले और गणेश जी की छवि को माने जिसे जरूरत हो वह ईद की तरह से देख ले और अपने नये महिने की शुरुआत कर ले,जिसकी जरूरत हो वह क्रूर कर्म करने के रूप में देख ले और अपने कर्म करना शुरु कर दे,जो होना था वह एक घंटे के अन्दर ही हो जाता है। वैसे ही मीन राशि का स्थान आराम करने वाले स्थान पर होता है,भाग्य के घर में उसका स्थान माना जाता है,किसी की भी कुंडली को देख लो भाग्य और धर्म का घर भी मीन राशि ही होती है,मित्रों के पैसे से मजे करने है तो मीन राशि में जन्म लेना हितकर होता है,जरा सा काम किया और मित्रों के वफ़ादार बन गये,बाकी की राशियां तो अपने आप आगे पीछे चलने लगती है,पूनम से दूज की दुश्मनी होती है,पूनम को रातभर जगना पडता है,और दूज को एक घंटे में आकर अपने बल को दिखाकर चला जाना होता है।
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