Monday, May 7, 2012

सफ़ेद कनेर और उसका तांत्रिक प्रयोग

कनेर का पेड अक्सर कम पानी वाले स्थान पर मिल जाता है यह तीन प्रकार का होता है पीला कनेर मजबूत मिट्टी मे पाया जाता है लाल कनेर पठारी भूमि मे मिलता है और सफ़ेद कनेर अधिकतर रेगिस्तानी इलाके मे मिल जाता है।

कनेर का पेड जहरीला होता है उसकी छाल फ़ल फ़ूल पत्ती आदि को तोडने पर दूध निकलता है वह दूध आक के दूध की तरह से जहरीला होता है। कनेर के पत्ते लम्बे और पतले होते है छाया वाले पेडो की जगह पर लगाया जाता है। पीले वाले कनेर के नीचे अक्सर सांप रहते है और लाल कनेर के पास मे जहरीले जानवर जैसे छिपकली बिच्छू आदि पाये जाते है। सफ़ेद कनेर के पास सफ़ेद चीटियां अधिक पायी जाती है और उनके काटने पर एलर्जी जैसे रोग हो जाते है जो खांसी जुकाम आदि लगाने के लिये माने जाते है उनका जहर काफ़ी समय तक के लिये खून के अन्दर बना रहता है और अधिक पैदा होने के कारण खून के थक्के बनाने और ह्रदय रोग का आभास करवाने लगता है,इस प्रकार के व्यक्ति के पसीने मे भयंकर बदबू आने लगती है।

आयुर्वेद मे सफ़ेद कनेर के कई आयुर्वेदिक कारण बताये गये है जैसे जलने पर उसकी हरी पत्तियों को सरसों के तेल मे जलाने के बाद ठंडा करने के बाद जले हुये स्थान पर लगाने से एक तो छाले जल्दी ठीक हो जाते है और जलने के बाद पडे हुये सफ़ेद दाग भी ठीक हो जाते है। इसी प्रकार का उपयोग सूखे छुहारे के साथ हरे पत्ते छाल फ़ूल फ़ल कुचल कर जलाने के बाद ठंडा करने के बाद लगाने से सफ़ेद दाग भी ठीक होते देखे गये है।

पालतू जानवरो मे कीडे लग जाने के कारण और त्वचा वाली बीमारियां हो जाने के बाद अरंडी के तेल मे हरे पत्तो को जलाकर उनकी राख मिलाकर लगाने से ठीक हो जाते है।

तंत्र शास्त्र मे सफ़ेद कनेर के लिये कहा जाता है कि अमावस्या की आधी रात को इस पेड के नीचे बैठ कर शिव आराधना करने से फ़लदायी होती है। इस कनेर के फ़ूलो की माला शिवजी को पहिनाने से मनोवांछित फ़ल मिलने का कारण बनता है। सफ़ेद कनेर के फ़ूलो को हल्दी के साथ पीस कर माथे पर तिलक करने से जगत वशीकरण का रूप भी माना जाता है। भगन्दर और गुदा वाली बीमारियां भी इस कनेर के रस से ठीक होती देखी जाती है।

जिस घरो में ऊपरी शक्तियों का अधिक प्रभाव होता है उनके दरवाजे पर गमले मे लगाने के बाद ऊपरी हवाये दूर रहती है। जो लोग राहु चन्द्र शनि की युति मे पैदा हुये होते है और वृश्चिक राशि का असर उनके जीवन मे होता है तो उन्हे रोजाना इस कनेर के पेड पर दूध मिला जल चढाने के बाद शान्ति मिलती देखी गयी है.

2 comments:

  1. akdam sahi hai ...aur ise ''agar'''talitvya me pis kar 'bhunjan kar ' sidhha'kare to yah 'gold'= sona''isame kanvart hojata hai

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