Monday, April 5, 2010

सफ़ेद आक का तंत्र में महत्व

सफ़ेद आक एक जंगली पौधा है,और यह बंजर और सूखे प्रदेशों में अधिक होता है,नीले और सफ़ेद रंग के आक अक्सर भारत के शुष्क प्रदेशों में अधिक मिलते है,लेकिन भारत के राजस्थान प्रान्त में सफ़ेद आक की पैदाइस अधिक होती है। यह एक तांत्रिक पौधा भी है,इसलिये इसकी मान्यता अधिक पायी जाती है। इसके पत्ते या फ़ूल को तोडने पर खूब सारा जहरीला दूध निकलता है,वह दूध अगर आंख में चला जाये तो आंख की रोशनी खत्म हो सकती है। सफ़ेद आक के फ़ूल बिलकुल सफ़ेद रंग के होते है उन पर किसी अन्य रंग को नही देखा जाता है जिस फ़ूल पर अन्य रंग होते है वह सफ़ेद आक नही होता है। यह पौधा भगवान शिवजी पर चढाये जाने वाले फ़ूलों को देता है,इसलिये भी इस पौधे को महत्ता दी जाती है.अक्सर लोग अपने दरवाजे पर जिनके घर के दरवाजे नैऋत्य मुखी होते है,इस पौधे को लगाते है तो उनके घर के अन्दर के वास्तु दोष समाप्त हो जाते है,घर के अन्दर होने वाले भुतहा उपद्रव शान्त हो जाते है,घर के सदस्यों के अन्दर चलने वाली बुराइयां समाप्त हो जाती है ,और जिन घरों मांस मदिरा का अधिक उपयोग होता है उनमें कम हो जाता है या पूरी तरह से समाप्त हो जाता है। इस पौधे को राजार्क भी कहते है,इस पौधे की जड में गणेशजी की प्रतिमा अपने आप बन जाती है,पौधा लगाने के सातवीं साल तक वह प्रतिमा बनजाती है,और तभी तक यह पौधा घर के बाहर तक रहता भी है,अगर सातवीं साल में इसकी केयर नही की जाती है तो वह पौधा सूख कर खत्म हो जाता है और जड में बनी गणेशजी की प्रतिमा भी मिट्टी हो जाती है। इस पौधे के रहने वाले स्थान पर धन की कमी नही रहती है ऐसा लोगों का विश्वास माना जाता है। जो लोग तांत्रिक कार्य करते है वे इस पौधे की तलाश में हमेशा रहते है,पूर्णिमा तिथि को सोमवार के दिन इस पौधे से फ़ूल लेकर भगवान शिव जी पर अर्पण करने पर इच्छित वस्तु की प्राप्ति हो जाती है ऐसी लोगों की मान्यता है,तरुण रसायन नामक बटी को इसी आक के पेड की जड से बनाया जाता है,जिसे प्रयोग करने से शरीर के सभी प्रकार के जहरीले दुर्गुण दूर हो जाते है। इसकी जड को सोमवार को पुष्य नक्षत्र में धारण करने से अला बला दूर रहती है,इसे घिस कर तिलक लगाकर भगवान भोले नाथ की पूजा करने पर उनकी कृपा प्राप्त होती है,इच्छा पूर्ति के लिये इस की जड को विभिन्न दिशाओं से खोद कर उनकी विभिन्न प्रकार से पूजा की जाती है। दुर्भाग्य के लिये नाभि पर कमल का पत्ता और बायीं भुजा पर सफ़ेद आक का पत्ता बांधने पर सौभाग्य की पूर्ति होने लगती है,किसी भी प्रकार की व्याधि और अरिष्ट की आशंका के समय इस पेड की जड से बने गणपति की आराधना करना चाहिये.

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