Saturday, March 20, 2010

शमशान में घ्रर


शमशान मनुष्य का अन्तिम स्थान होता है,यहाँ तक जीवित मनुष्य का साथ होता है और यहीं तक साथ चलती है वह देह जिसके लिये संसार में चोरी बेईमानी डकैती और जाने कौन कौन से दुष्कर्म किये जाते है,इस देह के लिये जिन्दा मार डाले जाते है और मरे हुओं को भी मारने का काम किया जाता है। अक्सर लोग इस बात को भूल जाते है कि वे जिस स्थान पर कदम रखने जा रहे है वह अन्तिम प्रयाण का रास्ता है,यहां से कोई पाप पुण्य का वास्ता नही रहता है,इसके बाद केवल जीवन में किये गये अच्छे और बुरे कर्मो का हिसाब किताब करना बाकी रह जाता है,कुछ हिसाब किताब तो जिन्दा लोग कर गये होते है और कुछ हिसाब किताब धर्मराज की डायरी में लिखे कर्म और कुकर्म अपना हिसाब किताब बताने के लिये तैयार रहते है। हम जानते हुये भी गल्ती क्यों करते है इसका एक उदाहरण आपके सामने रखते है। जब हम भीड में चलते है और भीड के द्वारा अपने कर्मों को करने का प्रयोग भीड के अनुसार करने की सोचते है तो यह सोच लेते है कि सामने वाले का होगा वह मेरा भी होगा,अगर सामने वाला ठीक रहता है तो मैं भी ठीक रहूंगा,इस प्रकार से अपने पीछे के कर्मों को भूल कर आगे के और बुरे कर्मों को बढा लेते है। आज एक प्रश्न इन्दौर से भेजा गया है,उसके अन्दर जो लिखा है वह इस प्रकार से है :- "meri birth date nahi hai isliye putr ki ditail de raha hU maine 02.04.2008 ko kacche shmshaan par bani hui colony me makan kharida hai, tatha 08.05.2008 ko makan me grah pravesh kiyaa hai tab se mai kaphi parshan hu is makan ka karja nahi utar raha, ghar ke sadsy aksar bimaar rhate hai, krpya upaay bataane ka kast kare".
इनकी बात में लिखा है कि इन्होने एक मकान कच्चे शमशान में बनी कालोनी में ले लिया है,और जब से उन्होने उस मकान में प्रवेश किया है तभी से उस घर मे कोई ना कोई बीमार रहता है,और मकान का कर्जा भी नही चुकाया जा रहा है,इस बच्चे की जन्म तारीख के द्वारा जब देखा तो कुन्डली कन्या लगन की है और लगनेश बुध के साथ मंगल शुक्र विराजमान है,यह बच्चे की कुन्डली है और मकान को पिता ने लिया है,इसलिये इस कुंडली में सूर्य को देखना है कि वह कहां है,कुंडली में सूर्य का स्थान लगन से बारहवें स्थान में शनि के साथ सिंह राशि में है,जब कुंडली में सूर्य और शनि आपस में मिल जाते है,या बुध के साथ मंगल विराजमान हो जाता है तो मंगल बद हो जाता है। नेक मंगल के स्वामी हनुमान जी होते है और बद मंगल के देवता भूत प्रेत पिशाच होते है। लेकिन मरी हुयी आत्मा का कारक राहु होता है,अगर बद मंगल से राहु की युति किसी प्रकार से मिल जाती है तो वह वास्तव में एक खतरनाक भूत का स्थान बन जाता है। जिस स्थान पर मकान बनाया गया है,उस स्थान पर गुरु जो इशारा कर रहा है वह बक्री का है,और बक्री गुरु जो भी फ़ल देता है वह जल्दी से देता है,राहु का इशारा मकर राशि का पंचम में है। इस मकान का दरवाजा दक्षिण की तरफ़ है,और दक्षिण के दरवाजे ही कितनी ही मुशीबतें एक बढिया जमीन में आती है लेकिन जब शमशान का मकान भी हो और दक्षिण का दरवाजा भी हो तो मुशीबतों का जोर कितना हो सकता है इसका अन्दाजा तो भुक्त भोगी ही लगा सकता है। इस मकान का पानी पश्चिम में है,इस मकान की रसोई उत्तर में है,इस मकान में एक बरामदा या बालकनी या खिडकी उत्तर में भी है,पूर्व वाली जमीन खाली पडी है। उत्तर से दक्षिण की एक सीमा रेखा बनी है,उस सीमा रेखा से हटकर कोई सरकारी शेड आदि बना है। इस मकान में रहने वाला कैसे सुखी रह सकता है,इसका जबाब अगर आपके पास हो तो आप भी लिखें,हम आपके जबाबों का इन्तजार करेंगे। किसी जिन्दा व्यक्ति को आराम से समझाकर घर से बाहर निकाला जा सकता है ,लेकिन जब कोई मृत्यु के बाद की आत्मा उस स्थान पर अपना वास बना गयी हो तो उसे निकालने के लिये क्या किया जा सकता है। इसका एक उपाय किया जा सकता है,जो वहां रहने वाला है उसे आदर से वहीं पर स्थापित कर दिया जाये,और साथ साथ आराम से रहा जाये। घर के उत्तर-पश्चिम कोने में एक सरकारी जगह है,उस स्थान पर कोई स्थान घर से सटाकर बना दिया जाये,जो भी घर में खाना बनता है उसे सबसे पहले एक पत्तल में निकाल कर उस स्थान पर पहुंचा दिया जाये। किसी तरह की गंदगी वहां पर नही की जाये,तीज त्यौहार को विशेष ध्यान रखा जाये। तो रहने वाली आत्मायें कुछ हद तक परेशान न करके सहारा देने की कोशिश करने लगेंगी।

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